भारत में लोग अक्सर शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और डॉक्टर के पास जाने में देरी करते हैं — खासकर आँखों की समस्याओं के लिए। कई बार लोग सोचते हैं “अपने आप ठीक हो जाएगा” या घरेलू नुस्खों पर भरोसा करते हैं। लेकिन जब बात आपकी आंखों की हो, तो ज़्यादा इंतजार करना खतरनाक हो सकता है।
जैसे-जैसे पंजाब और जलंधर जैसे शहरों में स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है, लोग आंखों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते — जब तक हालत बहुत खराब न हो जाए। कुछ बीमारियां बिना किसी दर्द या लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ती हैं और अगर समय पर इलाज न हो तो स्थायी नुकसान कर सकती हैं।
चाहे आप कामकाजी व्यक्ति हों, छात्र हों या वरिष्ठ नागरिक — आपकी आंखों की नियमित जांच जरूरी है। अगर आप इन 7 चेतावनी संकेतों में से कोई भी महसूस कर रहे हैं, तो देर न करें — तुरंत किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलें।
1. धुंधली या टेढ़ी-मेढ़ी दृष्टि
भारत में धुंधली दृष्टि एक आम शिकायत है, खासकर कामकाजी लोगों और बच्चों में। ऑनलाइन क्लासेस और मोबाइल स्क्रीन के ज़्यादा इस्तेमाल के कारण यह समस्या और बढ़ गई है।
अगर आप सड़क के साइन, अखबार या व्हाट्सएप मैसेज पढ़ने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं, तो इसके कारण हो सकते हैं:
- मायोपिया, हाइपरोपिया, या ऐस्टिग्मैटिज्म जैसी अपवर्तक त्रुटियां
- मोतियाबिंद (बुज़ुर्गों में आम)
- डायबिटिक आई डिजीज
- मैक्युलर डिजेनेरेशन
एक साधारण आंखों की जांच से कारण पता लगाया जा सकता है और सही चश्मा, इलाज या सर्जरी सुझाई जा सकती है। जलंधर में Innocent Hearts Eye Centre में कई मरीज धुंधली दृष्टि की शिकायत लेकर आते हैं — और जांच में पता चलता है कि सालों से मोतियाबिंद या डायबिटिक रेटिनोपैथी धीरे-धीरे बढ़ रही थी।
2. बार-बार सिरदर्द होना
स्क्रीन पर ज़्यादा समय बिताने वाले छात्रों और आईटी प्रोफेशनल्स में आंखों के तनाव के कारण सिरदर्द बहुत आम हो गया है। अगर आपका सिरदर्द पढ़ने, स्क्रीन देखने या गाड़ी चलाने के बाद और बढ़ता है, तो यह आंखों की कमजोरी का संकेत हो सकता है।
बहुत से लोग बिना जांच कराए सिरदर्द की दवा लेते रहते हैं — जबकि असली वजह आंखों की समस्या हो सकती है।
विशेष रूप से ये लोग प्रभावित हो सकते हैं:
- चश्मे की जरूरत वाले स्कूल के बच्चे
- स्क्रीन पर दिनभर काम करने वाले ऑफिस वर्कर्स
- गलत या पुराना चश्मा पहनने वाले लोग
सिरदर्द ग्लूकोमा या आँखों की मांसपेशियों में खिंचाव का भी संकेत हो सकता है। बार-बार सिरदर्द हो रहा है तो पेनकिलर की बजाय नेत्र विशेषज्ञ से जांच करवाएं।
3. रोशनी के प्रति संवेदनशीलता (Photophobia)
क्या तेज़ धूप में आंखें खोलना मुश्किल लगता है? क्या ट्यूबलाइट की रोशनी आंखों में चुभती है या पानी आता है? यह लाइट सेंसिटिविटी हो सकती है। इसके कारण हो सकते हैं:
- कंजंक्टिवाइटिस जैसी आंखों में इंफेक्शन
- यूवाइटिस (आंखों में सूजन)
- कॉर्निया से जुड़ी समस्याएं
- माइग्रेन से जुड़ी दृष्टि समस्याएं
ग्रामीण और शहरी भारत में इसे अक्सर हल्की एलर्जी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन अगर ये समस्या लगातार बनी रहती है, तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें। Innocent Hearts Eye Centre जैसे ट्रस्टेड क्लिनिक में जांच करवाएं।
4. डबल विजन (एक चीज़ की दो छवियां दिखना)
एक ही वस्तु की दो छवि दिखना न सिर्फ डरावना, बल्कि गाड़ी चलाते समय खतरनाक भी हो सकता है। इसे डिप्लोपिया कहते हैं और इसके कारण हो सकते हैं:
- आंखों की मांसपेशियों की कमजोरी
- नसों की परेशानी
- मोतियाबिंद
- ब्रेन स्ट्रोक या ट्यूमर (कभी-कभी)
- रेटिना की बीमारियां
इसका इलाज घर पर संभव नहीं है। तुरंत मेडिकल जांच और जरूरत पड़ने पर CT स्कैन या MRI करवाना जरूरी है।
जलंधर के जाने-माने नेत्र सर्जन डॉ. रोहन बौरी इस तरह की समस्याओं के इलाज में विशेषज्ञ हैं।
5. आंखों में लाली, दर्द या जलन
प्रदूषण, धूल और स्क्रीन के ज़्यादा इस्तेमाल के कारण पंजाब और अन्य शहरी इलाकों में आंखों में जलन या लाली आम है। लेकिन अगर इसके साथ:
- तेज दर्द
- सूजन
- मवाद या डिस्चार्ज
- रोशनी से चुभन
…जैसे लक्षण भी हैं, तो यह सिर्फ थकान नहीं — बल्कि संक्रमण, ड्राई आई, कॉर्नियल अल्सर या ग्लूकोमा हो सकता है।
बिना डॉक्टर की सलाह के आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल न करें। खुद से इलाज करने से हालत बिगड़ सकती है। हमेशा किसी योग्य नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
6. आंखों के सामने धब्बे, धागे या चमक दिखना
क्या आपको आंखों के सामने काले धब्बे, मकड़ी के जाले या रोशनी की चमकें दिखाई देती हैं? ये फ्लोटर्स हो सकते हैं — जो आमतौर पर उम्र बढ़ने से होते हैं।
लेकिन अगर आपको साथ में ये लक्षण भी दिखें:
- अचानक फ्लोटर्स की संख्या बढ़ जाना
- आंखों के एक ओर अंधेरा या परछाई महसूस होना
- चमकती रोशनी की फ्लैशेस
…तो ये रेटिना डिटैचमेंट का संकेत हो सकता है — जो मेडिकल इमरजेंसी है। हाई मायोपिया और डायबिटीज के मरीजों को इसका खतरा अधिक होता है। समय रहते इलाज न किया गया तो स्थायी अंधापन हो सकता है। इसे नज़रअंदाज़ न करें।
7. रात को देखने में परेशानी या लाइट्स के चारों ओर ‘हैलो’ दिखना
अगर आप रात में गाड़ी चलाने में परेशानी महसूस कर रहे हैं या स्ट्रीट लाइट्स और गाड़ियों की हेडलाइट्स के चारों ओर चमकदार “हैलो” नजर आते हैं — तो यह शुरुआती संकेत हो सकते हैं:
- मोतियाबिंद (भारत में 50+ उम्र वालों में आम)
- विटामिन A की कमी (खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में)
- नाइट ब्लाइंडनेस
- ग्लूकोमा
- चश्मे की जरूरत
कई लोग इसे “बुढ़ापे का असर” मानकर टाल देते हैं, लेकिन समय पर जांच और इलाज से दृष्टि दोबारा ठीक हो सकती है। डॉ. रोहन बौरी मोतियाबिंद की एडवांस सर्जरी (फेकोएमल्सिफिकेशन, प्रीमियम लेंस इम्प्लांट) में विशेषज्ञ हैं।
समय पर नेत्र जांच क्यों जरूरी है?
भारत में 40 की उम्र के बाद हर तीन में से एक व्यक्ति किसी न किसी दृष्टि समस्या से ग्रस्त है — और कई बार उन्हें खुद पता भी नहीं होता।
राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम (NPCB) के अनुसार, भारत में 80% से अधिक अंधता रोकी जा सकती है। जलंधर जैसे शहरों में कई मरीज तब आते हैं जब बहुत देर हो चुकी होती है। समय पर जांच से सर्जरी या दृष्टि हानि को टाला जा सकता है।
किन लोगों को नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए?
- 40 साल से अधिक उम्र वाले
- डायबिटीज या हाई बीपी के मरीज
- जिनके परिवार में आंखों की बीमारियों का इतिहास है
- जो चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं
- जो दिनभर स्क्रीन पर काम करते हैं
- जिनकी पहले आंखों की सर्जरी हो चुकी है
विशेषज्ञों की सलाह: अपनी आंखों की अनदेखी न करें
आपकी आंखें ही हैं जो आपको दुनिया दिखाती हैं — पढ़ने, काम करने, गाड़ी चलाने और ज़िंदगी जीने में मदद करती हैं। अगर इन 7 लक्षणों में से कोई भी महसूस हो, तो इंतज़ार न करें।
Innocent Hearts Eye Centre, Jalandhar क्यों चुनें?
- जलंधर के सबसे अच्छे नेत्र अस्पतालों में से एक
- डॉ. रोहन बौरी द्वारा संचालित — मोतियाबिंद, रेटिना और LASIK सर्जरी में विशेषज्ञ
- उन्नत डाइग्नोस्टिक उपकरण और दर्द रहित सर्जिकल प्रोसीजर
- साफ-सुथरी, आधुनिक सुविधा और सहयोगी स्टाफ
- अफोर्डेबल पैकेज और कैशलेस इंश्योरेंस सुविधा उपलब्ध
अपना आई चेकअप आज ही बुक करें
अगर आपको या आपके किसी प्रियजन को ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण हैं, तो देर न करें।
📍 Innocent Hearts Eye Centre, Jalandhar
👨⚕️ डॉ. रोहन बौरी से परामर्श करें — पंजाब के विश्वसनीय नेत्र सर्जन
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आपकी दृष्टि अनमोल है। आंखों की सुनिए — और सही समय पर कदम उठाइए। जल्दी जांच — बेहतर इलाज।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल: आपको नेत्र विशेषज्ञ से कब मिलना चाहिए?
Q1. मुझे नेत्र विशेषज्ञ से कब मिलना चाहिए — इसके सबसे सामान्य संकेत क्या हैं?
उत्तर: धुंधली दृष्टि, आंखों में दर्द, अचानक दृष्टि का धुंधला होना, आंखों के सामने तारे या धब्बे दिखना, सिरदर्द जो दृष्टि से जुड़ा हो, दोहरी दृष्टि या तेज़ रोशनी के प्रति संवेदनशीलता — ये सभी चेतावनी संकेत हैं। इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत आंखों की जांच करवाएं।
Q2. क्या आंखों में फ्लोटर्स (तैरते धब्बे) और चमक दिखना गंभीर है?
उत्तर: उम्र के साथ कभी-कभी फ्लोटर्स दिखना सामान्य है, लेकिन अगर अचानक से बहुत सारे फ्लोटर्स या रोशनी की चमक दिखे, तो यह रेटिना डिटैचमेंट का संकेत हो सकता है — जो एक मेडिकल इमरजेंसी है। तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से मिलें।
Q3. नियमित रूप से आंखों की जांच कितनी बार करवानी चाहिए?
उत्तर: वयस्कों को हर 1–2 साल में एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए। यदि आपको डायबिटीज है, चश्मा लगाते हैं, या परिवार में आंखों की बीमारियों का इतिहास है, तो आपको और अधिक बार जांच करवानी चाहिए।
Q4. क्या आंखों में दर्द चिंता का कारण है?
उत्तर: हां। अचानक होने वाला आंखों का दर्द, खासकर अगर वह लालपन, धुंधली दृष्टि या रोशनी के प्रति संवेदनशीलता के साथ हो, तो यह ग्लूकोमा या आंखों के संक्रमण जैसी समस्या का संकेत हो सकता है। इसे नज़रअंदाज न करें — नेत्र विशेषज्ञ से जांच करवाएं।
Q5. अगर मुझे अचानक साफ़ नहीं दिख रहा है तो क्या करना चाहिए?
उत्तर: अचानक धुंधली या दोहरी दृष्टि सामान्य नहीं है और यह रेटिना की समस्या, ऑप्टिक नर्व डैमेज या न्यूरोलॉजिकल कंडीशन का संकेत हो सकती है। तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से आपातकालीन अपॉइंटमेंट बुक करें।
Q6. क्या बार-बार होने वाला सिरदर्द आंखों से जुड़ा हो सकता है?
उत्तर: हां। आंखों पर ज़्यादा ज़ोर पड़ना, गलत या पुराना चश्मा, या आंखों के संरेखण की समस्या सिरदर्द का कारण बन सकती है। एक आंखों की जांच से कारण का पता चल सकता है और यह भी पता चलेगा कि आपको चश्मे की जरूरत है या किसी अन्य इलाज की।
Q7. अगर मुझे कोई लक्षण नहीं हैं, तो क्या फिर भी नेत्र विशेषज्ञ से मिलना चाहिए?
उत्तर: हां। कुछ आंखों की बीमारियां, जैसे ग्लूकोमा या डायबिटिक रेटिनोपैथी, शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं देतीं, लेकिन समय पर इलाज न हो तो यह दृष्टि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। नियमित जांच से इन बीमारियों का समय रहते पता चल सकता है और आपकी दृष्टि सुरक्षित रह सकती है।